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निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
[15-2-30]
(क) रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं में राष्ट्रीय भावना का परिचय दीजिए।
रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी साहित्य के एक प्रमुख कवि और लेखक थे, जिनकी कविताओं में राष्ट्रीयता, वीरता और सामाजिक चेतना का अद्वितीय समावेश है। उनकी रचनाओं में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय आंदोलन की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
उनकी प्रसिद्ध रचना “रश्मिरथी” में वे महाभारत के कर्ण को केंद्र में रखते हुए राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं। उनकी अन्य रचनाएँ जैसे “परशुराम की प्रतीक्षा,” “हुंकार,” और “कुरुक्षेत्र” में भी राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति का प्रबल प्रभाव देखने को मिलता है। दिनकर की कविताओं में एक अद्वितीय ऊर्जा और प्रेरणा है जो लोगों को जागृत करती है और राष्ट्रीयता के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को स्पष्ट रूप से प्रकट करती है।
दिनकर की कविता “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” ने लोगों में स्वतंत्रता और अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा की और राष्ट्रीय आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहित्यिक योगदान ने स्वतंत्रता संग्राम के समय और उसके बाद भी लोगों को प्रेरित किया और राष्ट्रीय भावना को मजबूत किया।
(ख) कबीरदास, रहीम, बिहारीलाल में से किसी एक कवि का काव्यात्मक परिचय दीजिए।
कबीरदास 15वीं सदी के एक प्रमुख संत और कवि थे, जिनकी रचनाओं ने भारतीय समाज और साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला। वे हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि थे। कबीर का जन्म वाराणसी में हुआ था और उनका जीवनकाल 1440 से 1518 के बीच माना जाता है। वे एक जुलाहा परिवार में जन्मे थे और उनके काव्य में समाज के प्रति उनकी सच्ची भावना और सरलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
कबीरदास की कविताओं में धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वास, पाखंड और सामाजिक भेदभाव के प्रति गहरी आलोचना है। उनके दोहे, साखियाँ और पद समाज को सच्चाई, प्रेम, और सदाचार की ओर प्रेरित करते हैं। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के पाखंडों पर कटाक्ष किया और एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ सभी मनुष्य समान हों और सच्ची भक्ति और प्रेम से प्रेरित हों।
उनकी कुछ प्रसिद्ध पंक्तियाँ हैं:
- “साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।।”
- “पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।”
कबीरदास की भाषा सरल, सहज और लोकभाषा के निकट है, जिससे उनकी कविताएँ आम जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय हुईं। उनका काव्य संसार मानवता, प्रेम और सत्य की धारा से परिपूर्ण है। उनके विचारों और काव्य ने भारतीय समाज में एक नई चेतना का संचार किया और आज भी उनकी रचनाएँ प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।