Website can be closed on 12th to 14th Jan 2025 due to server maintainance work.
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की नगर योजना एवं भवन निर्माण
प्रस्तावना
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization), जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन विश्व की सबसे उन्नत नगर सभ्यताओं में से एक थी। इसके प्रमुख नगरों में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा विशेष स्थान रखते हैं। इन नगरों की योजना और भवन निर्माण कला ने न केवल उस युग की तकनीकी प्रगति और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाया बल्कि साफ-सफाई, जल निकासी और समाज के प्रबंधन में उच्च मानकों की स्थापना की।
इस निबंध में हम मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के शहरी लेआउट, भवन निर्माण के तरीकों, जल निकासी व्यवस्था और अन्य विशेषताओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की नगर योजना
1. ग्रिड-आधारित संरचना (Grid-Based Layout):
- दोनों नगरों का निर्माण ग्रिड प्रणाली पर आधारित था, जिसमें सड़कें एक-दूसरे को 90-डिग्री पर काटती थीं।
- मुख्य सड़कें चौड़ी और सीधी थीं, जबकि गलियाँ अपेक्षाकृत संकरी होती थीं।
- सड़कें इतनी व्यवस्थित थीं कि वाहन और पैदल यात्रियों के लिए पर्याप्त जगह रहती थी, जो आधुनिक शहरी नियोजन से मेल खाती है।
2. द्विस्तरीय संरचना (Two-Part Towns):
- नगरों को दो भागों में विभाजित किया गया था:
- पश्चिमी भाग (Acropolis): इसमें ऊँचा किला और प्रशासनिक भवन होते थे।
- पूर्वी भाग (Lower Town): इसमें सामान्य नागरिकों के घर, बाजार और गोदाम थे।
- इस विभाजन से प्रशासनिक केंद्र और आवासीय क्षेत्र को अलग रखने की सुव्यवस्था दिखाई देती है।
3. जल निकासी और सीवर प्रणाली (Drainage System):
- मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में जल निकासी व्यवस्था अत्यंत उन्नत थी।
- प्रत्येक घर से जुड़े हुए प्राइवेट नालों को मुख्य सीवर लाइन से जोड़ा गया था।
- ये सीवर लाइनें पकी हुई ईंटों से बनी थीं और नियमित अंतराल पर मैनहोल की व्यवस्था थी, ताकि सफाई की जा सके।
4. सार्वजनिक जलाशय और स्नानागार (Public Water Tanks and Great Bath):
- मोहनजोदड़ो में मिला विशाल स्नानागार (Great Bath) सभ्यता की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र था।
- इसके चारों ओर छोटे-छोटे कमरे बने हुए थे, जिनका उपयोग पूजा-अर्चना या सामाजिक आयोजनों के लिए होता था।
- पानी के भंडारण के लिए कुएँ और तालाब भी बनाए गए थे।
5. वायुसंचार और प्रकाश व्यवस्था (Ventilation and Lighting):
- भवनों की खिड़कियाँ ऊँचाई पर स्थित थीं, जिससे गोपनीयता बनी रहे और ताजी हवा और रोशनी भी प्रवेश कर सके।
- गलियों की चौड़ाई और भवनों के बीच की दूरी भी वातावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए निर्धारित थी।
भवन निर्माण की विशेषताएँ
1. पकी हुई और कच्ची ईंटों का प्रयोग (Use of Baked and Raw Bricks):
- पकी हुई ईंटें मुख्य रूप से सार्वजनिक भवनों और महत्त्वपूर्ण संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाती थीं।
- अधपकी ईंटों का उपयोग अपेक्षाकृत कम महत्त्वपूर्ण भवनों और नींव के निर्माण में होता था।
- यह स्पष्ट करता है कि निर्माण के समय सामग्री का सामाजिक महत्त्व और आर्थिक व्यावहारिकता को ध्यान में रखा गया था।
2. दो से तीन मंजिला भवन (Two- or Three-Storied Houses):
- कई घर दो या तीन मंजिलों के थे, जिनकी छतें लकड़ी के बीमों पर आधारित होती थीं।
- इन घरों में एक अंदरूनी आँगन होता था, जो परिवार के सदस्यों के लिए एक निजी स्थान का काम करता था।
3. स्नानघर और जल आपूर्ति (Private Bathing Areas and Wells):
- लगभग प्रत्येक घर में एक स्नानघर होता था और जल आपूर्ति के लिए कुएँ बनाए गए थे।
- यह स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता और जीवनशैली का संकेत है।
4. दरवाजों और खिड़कियों का नियोजन (Placement of Doors and Windows):
- घरों के दरवाजे मुख्य सड़कों की बजाय गलियों की ओर खुलते थे, जिससे सुरक्षा और गोपनीयता बनी रहती थी।
- खिड़कियाँ ऊँचाई पर होने के कारण बाहर से झाँकना कठिन था।
5. गोदाम और अनाज भंडार (Warehouses and Granaries):
- मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में विशाल अनाज भंडार मिले हैं, जो उनके कुशल व्यापार और कर संग्रह प्रणाली का संकेत देते हैं।
- अनाज भंडारण के लिए बड़े-बड़े गोदाम बनाए गए थे, जो मुख्य रूप से कृषि उत्पादन को संग्रहीत करने और व्यापार के लिए इस्तेमाल होते थे।
सामाजिक जीवन और नगर नियोजन का प्रभाव
1. साफ-सफाई पर ध्यान (Focus on Hygiene):
- जल निकासी और घरों में स्नानघरों की उपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि सिंधु सभ्यता के लोग साफ-सफाई को अत्यधिक महत्त्व देते थे।
- पूरे शहर में जल निकासी की सुव्यवस्थित प्रणाली आधुनिक नगरों के लिए भी एक प्रेरणा है।
2. शहरीकरण और व्यापार (Urbanization and Trade):
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दोनों नगरों में व्यापारिक गतिविधियाँ उच्च स्तर पर थीं, जिसके प्रमाण मुद्राएँ, गोदाम, और समुद्री मार्गों से प्राप्त होते हैं।
- ये नगर न केवल स्थानीय व्यापार बल्कि दूरस्थ क्षेत्रों के साथ वस्त्र, आभूषण, और धातु वस्तुओं के व्यापार में भी सक्रिय थे।
3. धार्मिक और सामाजिक जीवन (Religious and Social Life):
- विशाल स्नानागार जैसी संरचनाएँ इस बात का संकेत हैं कि यहाँ के लोग सामाजिक समारोहों और धार्मिक क्रियाओं में सक्रिय भागीदारी करते थे।
- घरों और सार्वजनिक स्थलों की बनावट से समानता और एकरूपता का बोध होता है, जिससे पता चलता है कि समाज में विशेष वर्ग भेद नहीं था।
निष्कर्ष
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की नगर योजना और भवन निर्माण न केवल उस समय की तकनीकी प्रगति का उदाहरण है, बल्कि यह सामाजिक जीवन, स्वच्छता और शहरीकरण के प्रति उनकी समझ को भी उजागर करता है। उनके द्वारा विकसित ग्रिड प्रणाली, जल निकासी तंत्र, और अनाज भंडारण के गोदाम आज भी नगर नियोजन और वास्तुकला के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं। इन नगरों के विकसित शहरी ढाँचे और सामाजिक संगठनों ने यह सिद्ध कर दिया कि सिंधु घाटी सभ्यता अपने समय की सबसे उन्नत और प्रगतिशील सभ्यताओं में से एक थी।
![](https://i0.wp.com/www.re-thinkingthefuture.com/wp-content/uploads/2022/05/A7010-Lost-in-Time-Mohenjo-daro-Pakistan-Image-7.jpg?w=999)
![](https://i2.wp.com/archestudy.com/wp-content/uploads/2021/07/Indus-Valley-Civilization.jpg?fit=1920%2C1080&ssl=1)
चित्र और संदर्भ
अधिक जानकारी और चित्रों के लिए निम्नलिखित लिंक पर जाएँ:
यह निबंध दर्शाता है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगर केवल स्थापत्य कला और शहरी नियोजन में ही श्रेष्ठ नहीं थे, बल्कि उनकी व्यवस्था समाज, व्यापार, और प्रशासनिक प्रबंधन में भी अत्यंत उन्नत थी।