ध्वनि प्रदूषण

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ध्वनि प्रदूषण: अशांत दुनिया का शोर (Noise Pollution: The Unwanted Cacophony of a Modern World)

ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है जो तेजी से शहरीकरण और औद्योगिक विकास के कारण दुनिया भर में बढ़ रहा है। यह किसी भी प्रकार का अवांछित या अप्रिय ध्वनि है जो मानव स्वास्थ्य, वन्यजीव और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। ध्वनि प्रदूषण को समझने के लिए, हमें ध्वनि की प्रकृति, इसके स्रोतों, इसके प्रभावों और इसे कम करने के तरीकों को जानना आवश्यक है।

ध्वनि की प्रकृति (The Nature of Sound)

ध्वनि या तो वांछित संगीत या अवांछित शोर के रूप में माना जा सकता है। यह कंपन है जो किसी माध्यम से यात्रा करता है, जैसे हवा, पानी या ठोस पदार्थ। ये कंपन हमारे कानों तक पहुंचते हैं और उन्हें ध्वनि के रूप में माना जाता है। ध्वनि की तीव्रता को डेसिबल (dB) में मापा जाता है। सामान्य बातचीत लगभग 60 डेसिबल पर होती है, जबकि ट्रैफिक का शोर 80 से 90 डेसिबल के बीच हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 85 डेसिबल से ऊपर का ध्वनि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत (Sources of Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण के कई स्रोत हैं, जिन्हें मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • यातायात: यातायात शोर ध्वनि प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है। इसमें कारों, ट्रकों, मोटरसाइकिलों, बसों और हवाई जहाजों से निकलने वाला शोर शामिल है। शहरी क्षेत्रों में यातायात का घनत्व जितना अधिक होता है, ध्वनि प्रदूषण का स्तर उतना ही अधिक होता है।
  • औद्योगिक गतिविधियाँ: कारखानों, निर्माण स्थलों और औद्योगिक मशीनरी से निकलने वाला शोर ध्वनि प्रदूषण में योगदान देता है। धातु काटने, वेल्डिंग, और भारी मशीनरी के संचालन से तेज और लगातार शोर पैदा होता है।
  • निर्माण कार्य: सड़क निर्माण, भवन निर्माण और अन्य निर्माण गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और मशीनरी से भी काफी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण होता है।
  • मनोरंजन गतिविधियाँ: तेज संगीत, आतिशबाजी और अन्य मनोरंजन गतिविधियाँ भी ध्वनि प्रदूषण का एक स्रोत हैं। विशेष रूप से, रेस्तरां, बार और डिस्को से निकलने वाला तेज संगीत आसपास के निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
  • अन्य स्रोत: ध्वनि प्रदूषण के अन्य स्रोतों में लाउडस्पीकर, जनरेटर, घरेलू उपकरण, और यहां तक ​​कि पालतू जानवरों का शोर भी शामिल है।

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव (Impacts of Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य, वन्यजीव और पर्यावरण पर कई तरह का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये प्रभाव तीव्रता और ध्वनि के संपर्क की अवधि के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता में कमी हो सकती है, जिसे टिनिटस (कान में बजना) भी कहा जाता है। यह उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, तनाव, चिंता, नींद में खलल और सीखने में कठिनाई जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।

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