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केंद्रीय बैंक के कार्य
केंद्रीय बैंक किसी देश की सर्वोच्च मौद्रिक प्राधिकरण होती है, जो मुद्रा, धन आपूर्ति और ब्याज दरों का प्रबंधन करती है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखना और वित्तीय संस्थानों के संचालन को सुगम बनाना है। केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करता है, मुद्रा को स्थिर रखता है और बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करता है। प्रमुख उदाहरणों में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), फेडरल रिज़र्व (अमेरिका) और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) शामिल हैं।
1. मुद्रा का निर्गमन (Issuance of Currency)
केंद्रीय बैंक का प्राथमिक कार्य मुद्रा का निर्गमन करना है, जिससे राष्ट्रीय मुद्रा को वैधता और सार्वजनिक विश्वास प्राप्त होता है।
- धन आपूर्ति का नियंत्रण: केंद्रीय बैंक संचलन में उपलब्ध मुद्रा की मात्रा को नियंत्रित करता है ताकि मुद्रास्फीति और अपस्फीति को रोका जा सके।
- जाली मुद्रा की रोकथाम: यह सुरक्षा फीचर्स वाली मुद्रा जारी करता है ताकि नकली नोटों से बचा जा सके।
2. मौद्रिक नीति का कार्यान्वयन (Monetary Policy Implementation)
केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीतियाँ लागू करता है। इसके दो प्रमुख उपकरण होते हैं:
- मात्रात्मक उपकरण (Quantitative Tools):
- खुले बाज़ार का संचालन (Open Market Operations): सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री द्वारा तरलता को नियंत्रित करना।
- बैंक दर नीति (Bank Rate Policy): वाणिज्यिक बैंकों को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज दर में बदलाव करना।
- रिज़र्व आवश्यकताएँ (Reserve Requirements): नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) निर्धारित करना।
- गुणात्मक उपकरण (Qualitative Tools): कुछ विशिष्ट क्षेत्रों के लिए ऋण सीमा तय करना ताकि संसाधनों का उचित उपयोग हो सके।
3. अंतिम ऋणदाता के रूप में (Lender of Last Resort)
केंद्रीय बैंक संकट की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों को आपातकालीन ऋण प्रदान करता है।
- बैंकों की विफलता को रोकना: यह कार्य बैंकिंग क्षेत्र को स्थिर रखने में मदद करता है और बैंक रन (bank run) जैसी स्थितियों से बचाता है।
- सार्वजनिक विश्वास बनाए रखना: वित्तीय संकट के दौरान सहायता प्रदान करके यह जनता को विश्वास दिलाता है कि बैंकिंग प्रणाली सुरक्षित है।
4. बैंकों का विनियामक और पर्यवेक्षक (Regulator and Supervisor of Banks)
केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों की गतिविधियों की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि वे नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करें।
- बैंकिंग लाइसेंस और नियम: यह बैंकों को लाइसेंस जारी करता है और उनके परिचालन को विनियमित करता है।
- वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना: यह बैंकों का ऑडिट और निरीक्षण करता है ताकि वे पर्याप्त पूंजी बनाए रखें और जोखिमों का सही प्रबंधन करें।
5. विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक (Custodian of Foreign Exchange Reserves)
केंद्रीय बैंक देश के विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करता है और विनिमय दर की स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- विनिमय दर को स्थिर रखना: यह विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप कर घरेलू मुद्रा का मूल्य स्थिर रखता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन: ये भंडार आयात, ऋण भुगतान और विनिमय दर के उतार-चढ़ाव को संभालने में मदद करते हैं।
6. मुद्रास्फीति और मूल्य स्थिरता का नियंत्रण (Controlling Inflation and Price Stability)
केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न मौद्रिक उपाय करता है।
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: ब्याज दरों और धन आपूर्ति को समायोजित करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जाता है।
- मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना: स्थिर मूल्य निवेश को प्रोत्साहित करते हैं और दीर्घकालिक आर्थिक विकास में योगदान करते हैं।
7. आर्थिक विकास का संवर्धन (Promoter of Economic Growth)
केंद्रीय बैंक नीतियों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
- उत्पादक क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को प्रोत्साहन: यह कृषि, उद्योग और बुनियादी ढाँचे के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है।
- विकासात्मक पहलों का समर्थन: ग्रामीण बैंकिंग, माइक्रोफाइनेंस और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देता है।
8. वित्तीय स्थिरता बनाए रखना (Maintenance of Financial Stability)
केंद्रीय बैंक वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संकट प्रबंधन: यह आर्थिक संकट के समय आवश्यक नीतिगत कदम उठाता है।
- प्रणालीगत जोखिमों की रोकथाम: भुगतान और निपटान प्रणाली को सुचारू रूप से चलाकर बाज़ार में व्यवधान को कम करता है।
9. सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन (Managing Public Debt)
केंद्रीय बैंक सरकार को उसके ऋण प्रबंधन में सहायता करता है।
- सरकारी बांड का निर्गमन: यह सरकारी प्रतिभूतियों का निर्गमन और बिक्री में सहयोग करता है।
- ऋण भुगतान सुनिश्चित करना: यह सुनिश्चित करता है कि ब्याज और मूलधन का भुगतान समय पर किया जाए।
10. क्लीयरिंग हाउस के रूप में कार्य (Acting as a Clearing House)
केंद्रीय बैंक बैंकों के बीच लेनदेन के निपटान के लिए क्लीयरिंग सेवाएँ प्रदान करता है।
- सुव्यवस्थित लेनदेन की सुविधा: यह बैंकों के बीच लेनदेन का निपटान करके भुगतान प्रणाली को कुशल बनाता है।
- जोखिमों को कम करना: यह सुनिश्चित करता है कि लेनदेन समय पर पूरे हों और बैंकों को कोई नुकसान न हो।
निष्कर्ष
केंद्रीय बैंक किसी भी अर्थव्यवस्था के सुचारू संचालन और स्थिरता के लिए अनिवार्य है। मुद्रा के निर्गमन से लेकर मुद्रास्फीति नियंत्रण और विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन तक, इसके कार्य व्यापक और महत्वपूर्ण हैं। संकट के समय यह वित्तीय प्रणाली में स्थिरता लाने और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखने में मदद करता है। एक सक्षम केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक विकास और वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करता है।
संदर्भ
- मिश्किन, एफ. एस. (2019). The Economics of Money, Banking, and Financial Markets. पियरसन।
- भोले, एल. एम., & महाकुद, जे. (2017). Financial Institutions and Markets. मैकग्रा हिल एजुकेशन।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI). (2023). वार्षिक रिपोर्ट।