भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम

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भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

परिचय:

भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 भारत में वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। इसका उद्देश्य शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार से वन्यजीवों की रक्षा करना, उनके आवासों को संरक्षित करना और लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना है।

मुख्य प्रावधान:

  • वन्यजीवों का वर्गीकरण: अधिनियम में चार अनुसूचियों में वन्यजीवों को वर्गीकृत किया गया है। अनुसूची I और II में लुप्तप्राय और संकटग्रस्त प्रजातियां शामिल हैं, जिनकी सबसे अधिक सुरक्षा होती है। अनुसूची III और IV में कम खतरे वाली प्रजातियां शामिल हैं।
  • शिकार पर प्रतिबंध: अधिनियम में अनुमति के बिना किसी भी वन्यजीव को शिकार करना, मारना, खरीदना, बेचना या रखना गैरकानूनी है।
  • अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: अधिनियम सरकार को अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान स्थापित करने का अधिकार देता है, जो वन्यजीवों के लिए विशेष संरक्षित क्षेत्र हैं।
  • वन्यजीव व्यापार पर प्रतिबंध: अधिनियम में वन्यजीवों, उनके अंगों या उत्पादों के व्यापार पर प्रतिबंध है, कुछ अपवादों के साथ।
  • अनुसंधान और शिक्षा: अधिनियम वन्यजीवों और उनके आवासों पर अनुसंधान को बढ़ावा देता है और वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा कार्यक्रमों का समर्थन करता है।

संशोधन:

अधिनियम को 1972 में लागू होने के बाद से कई बार संशोधित किया गया है। 2002 में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों में शामिल हैं:

  • सामुदायिक भंडार और संरक्षण भंडार: स्थानीय समुदायों को वन्यजीव प्रबंधन में अधिक भागीदारी प्रदान करने के लिए इन नए प्रकार के संरक्षित क्षेत्रों को पेश किया गया।
  • वन्य अपराध नियंत्रण ब्यूरो: वन्यजीव अपराधों की जांच और अभियोजन के लिए एक विशेष एजेंसी का गठन किया गया।
  • जुर्माना और सजा में वृद्धि: वन्यजीव अपराधों के लिए सख्त जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया।

अधिनियम का प्रभाव:

भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम ने भारत में वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। कई प्रजातियों की संख्या में वृद्धि हुई है, और कई लुप्तप्राय प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया गया है।

हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं:

  • अवैध शिकार और तस्करी: यह अभी भी एक प्रमुख समस्या है, खासकर लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए।
  • आवास का नुकसान: आवास का नुकसान वन्यजीवों के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि जंगलों और अन्य प्राकृतिक क्षेत्रों को कृषि, बुनियादी ढांचे और विकास के लिए साफ किया जा रहा है।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष: जैसे-जैसे मनुष्य वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों में अतिक्रमण करते हैं, संघर्ष बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप फसल नुकसान, पशुधन पर हमले और यहां तक ​​कि मानव जीवन का नुकसान भी हो सकता है।

निष्कर्ष:

भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम एक महत्वपूर्ण कानून है जो भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। हमें वन

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